Mp News:चुरहट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बना अधिकारियों के राजनीति का अखाड़ा
Mp News:हिंदी में एक कहावत है की बंदूक है पर मामा के घर, यह पूरी कहावत चुरहट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए फिट बैठती है, इस कहावत की चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि अगर कोई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से डॉक्टर छुट्टी में जाता है तो स्वास्थ्य केंद्र को सुचारू रूप से चलने के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टरों की तैनाती की जाती है लेकिन चुरहट में इसका उल्टा हो रहा है कहावत का संदर्भ समझे तो ऐसे डॉक्टर की तैनाती की गई है जो टाइम से स्वास्थ्य केंद्र में उपस्थित नहीं हो सकता जबकि दूसरा रास्ता उपलब्ध है एक और नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र है जहां के मरीज तक चुरहट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पहुंच सकते हैं लेकिन उसे स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर की तैनाती नहीं की जाती ऐसे में यह कहना उचित नहीं होगा की चुरहट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य अधिकारियों की राजनीति का अखाड़ा बनाया जा रहा है
Mp News:चुरहट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जिस डॉक्टर की तैनाती की गई है वह लगभग दोपहर 12:00 तक आते हैं जबकि डॉक्टर की ड्यूटी सुबह 9:00 बजे से होती है ऐसे में सवाल यह उठता है कि 9 से 12 तक की ड्यूटी क्या पूरी रात ड्यूटी कर रहे डॉक्टर की जिम्मेदारी में रहेगा आखिर वह भी तो इंसान ही है 24 घंटे कैसे ड्यूटी कर सकता है लेकिन यह बात स्वास्थ्य के उच्च अधिकारियों को समझ में नहीं आता क्योंकि उन्हें तो जनता को परेशान करने में आनंद प्राप्त होता है
Mp News:आप सवाल यह उठता है कि छुट्टी में गए डॉक्टर की जगह तैनाती किए गए डॉक्टर को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से किया जा सकता था लेकिन ऐसी क्या दिक्कत आन पड़ी की नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर को तैनाती न कर ऐसे डॉक्टर की तैनाती की गई जो अपनी आधी ड्यूटी का समय स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने में गवां दे, उच्च अधिकारियों का मैनेजमेंट की समझ इतनी खराब है कि उन्हें यह आंकड़ा लगाने में दिक्कत होती है कि कौन से डॉक्टर की तैनाती करने में जनता के लिए सहूलियत होगी लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि स्वास्थ्य के बड़े अधिकारियों को जनता की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है उन्हें तो बगैर मैनेजमेंट के ड्यूटी लगा देना है चाहे उसे डॉक्टर का नुकसान हो रहा हो या फिर जनता का
Mp News:अगर बात करें ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर की तो उनके बारे में कितना भी कहा जाए कम है क्योंकि उन्हें केवल सुनना आता है करना नहीं कई बार समस्या सुनते उनके कार्यालय में जाया जाता है लेकिन वह उपस्थिति ही नहीं रहती लेकिन जब से मुख्य चिकित्सा अधिकारी के रूप में बबीता खरे ने पद संभाला है तो जनता को कुछ उम्मीद जगी थी लेकिन कुछ ऐसे फैसले जो बिना सोच समझ बिना मैनेजमेंट के किए गए तो ऐसा लगता है कि जनता की उम्मीद में पानी फिर गया
Mp News:मुख्य चिकित्सा अधिकारी के रूप में पदस्थ डॉक्टर बबीता खरे चुरहट में भी अपनी सेवाएं दे चुकी है उन्हें चुरहट की समस्याओं के बारे में भली भांति जानकारी है लेकिन फिर भी इस तरीके की समस्याओं से वह नहीं निपट पा रही है इससे क्या अंदाजा लगाया जा सकता है क्या यह राजनीति है या फिर जनता के साथ खिलवाड़ हमेशा इसलिए कह रहे हैं कि अगर ऐसी व्यवस्था के चलते चुरहट के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोई बड़ी आपरी घटना घट जाती है तो इसके जिम्मेदार आखिर ब्लाक मेडिकल ऑफिसर और मुख्य चिकित्सा अधिकारी ही होंगे